62. बाहम्ण देवदास
बसिआँ का मालिक हाकम जाबर खान इस इलाके के हिन्दूओं पर हर प्रकार का जूल्म और जबरन
लडकियों, औरतों की बेइज्जती करता था। एक प्रसँग में होशियारपुर जिले के जोजे शहर के
गरीब ब्राहम्ण देवदास की धर्मपत्नि की डोली हाकम जाबर खान हथियाकर अपने महल ले आया।
दुखी ब्राहम्ण धार्मिक आगूओं, राजाओं के पास जाकर रोया, लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं
हुई। फिर देवीदास गुरू गोबिन्द सिंघ जी के पास आनंदपुर सहिब जा पहुँचा और घटना कही।
गुरू जी ने अजीत सिंघ के साथ 200 बहादुर सिक्खों का जत्था हाकम जाबर खान को सबक
सिखाने के लिए भेजा। अजीत सिंघ ने अपने जत्थे समेत जाबर खान पर हमला किया, धमासान
की जँग में धायल जाबर खान को बाँध लिया गया, साथ ही देवीदास की पत्नि को देवीदास के
साथ उसके घर भेज दिया। श्री गुरू गोबिन्द सिंघ जी साहिबजादे अजीत सिंघ जी के इस
कारनामें पर अति प्रसन्न हुए।