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57. गुरू जी का मुख्य लक्ष्य

श्री गुरू गोबिन्द सिंघ जी ने अनुभव किया कि सिक्ख धर्म के सँस्थापक श्री गुरू नानक देव जी ने समस्त मानव समाज के उत्थान के लिए जो प्रयास किये उनमें सबसे पहले यह नारा बुलंद किया– "न कोई हिन्दु न कोई मुस्लमान", जिसका तात्पर्य था कि समस्त मानव जाति एक पिता परमेश्वर की सन्तान है अर्थात एक पिता एकस के हम बारिक। गुरू जी ने जब यह अनुभव किया कि जनसाधारण के दुखों का मुल कारण अज्ञानता, प्राधीनता, आर्थिक विषमता तथा जाति पर आधारित वर्गीकरण इत्यादि है। अतः उन्होंने इन सामाजिक बुराईयों से जूझने तथा एक आदर्श समाज की स्थापना करने के लिए जीवन पद्धति में मूलभूत परिवर्तन अनिवार्य समझते हुए एक सबल, स्वतन्त्र अथवा स्वावलम्बी व्यक्तित्व के मानव की परिकल्पना की थी, जो कि सदैव निस्वार्थ भाव से परहित में कार्यरत रहें। ऐसे सम्पूर्ण समर्पित एँव निष्ठावान व्यक्तियों के योगदान से जटिल एँव जोखिम भरी समस्याओं के समाधान हेतु, उन्होंने उस समय के क्रूर शासकों, समाज के सँर्कीण विचारधारा वाले स्वार्थी तथा कुटिल प्रवृति के लोगों से लोहा लेने की ठान ली। गुरू जी ने विचार किया था कि सत्ताधारी को धर्मी पुरूष होना चाहिए अथवा सत्ता को धर्मी पुरूषों के हाथों में सौंपा जाना चाहिए अन्यथा आर्दश समाज की कल्पना व्यर्थ है। उन्होंने इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए संत-सिपाही की नई आदर्श प्रणाली का सूत्रपात किया। जिससे शोषित वर्ग को उनके मूल मानव अधिकार दिलवाएँ जा सकें तथा समाज में किसी व्यक्ति के साथ भी रँग-नस्ल, धर्म, जाति, भाषा, अमीरी-गरीबी और मालिक-नौकर के आधार पर कोई भेदभाव न किया जा सके। समाज के सभी वर्गों को प्रत्येक दुष्टि से समानता दिलवाना तथा मानव समाज को एक सूत्र में बाँधना गुरू जी का मुख्य लक्ष्य था, जिससे एक नये वर्ग विहीन समाज की उत्पति हो सके यानि समस्त प्राणी मात्र का कल्याण हो सके। गुरू जी के शब्दों में: सरबत दा भला, यानि कि उज्जवल आचरण वाले विकार रहित मनुष्य जो सदैव समाज कल्याण के लिए कार्यरत रहें ताकि समाज को नई दिशा दी जा सके। इसको साकार रूप देने के लिए उन्होंने क्रान्तिकारी आदेश जारी किये थे:

जउ तउ प्रेम खेलण का चाउ ।।
सिरू धरि तली गली मेरी आउ ।।
इतु मारगि पैरू धरीजै ।।
सिरू दीजै काणि न कीजै ।।
(श्री गुरू नानक देव जी की बाणी, राग प्रभाती, अंग 1412)

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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