39. होल्ला महल्ला
पौराणिक कथा पर आधारित उत्सव होली समस्त भारत का त्योहार है। गुरू जी के समय में इस
त्योहार को मनाने में बहुत सी विकृतियाँ आ गई थी, जिस कारण गुरू जी बहुत खिन्न हुए।
उन्होंने उस समय निर्णय लिया कि इस त्योहार को मर्यादित करके नया स्वरूप दिया जाये
और इसकी मलीनता समाप्त करके नवयुवकों को शौर्य, वीरता दर्शाने का एक शुभ अवसर
उपलब्ध कराया जाए। आपने अपने जवानों को दो दलों में विभाजित किया और उनको एक लक्ष्य
दिया और कहा कि विजयी पक्ष को पुरस्कृत किया जायेगा। इस कृत्रिम युद्ध के लिए नगाड़े
बजाकर योद्धाओं को एक विशेष पर्वत की चोटी पर आक्रमण करना था और प्रतिस्पर्धा में
प्रतिद्वन्द्वी पक्ष को परास्त करके विजय की घोषणा करनी थी। ऐसी ही किया गया। गुरू
जी ने स्वयँ समस्त युद्ध का निरीक्षण किया और विजयी दल को पुरस्कारों से सम्मानित
किया। इस समस्त खेल को आपने होल्ला महल्ला का नाम दिया। जिसमें होल्ला का अर्थ है
हमला करना और महल्ला का अर्थ है लक्ष्य की प्राप्ति करनी। गुरू जी ने यह नई रीति
अपने योद्धाओं में वीर रस भरने और उनको अस्त्र-अस्त्र विद्या में निपुण करने हेतु
चलाई जिससे जवान समय आने पर रणनीति में सदैव सफल हों। यह परम्परा उस समय से आज तक
ज्यों की त्यों श्री आनंदपुर साहिब जी में चली आ रही है।