8. प्रारम्भिक शिक्षा
श्री आनंदपुर साहिब नगर में सभी आवश्यकताओं के लिए लगभग निमार्ण कार्य हो चुका था।
अतः श्री गुरू तेग बहादर साहिब जी ने बाल गोबिन्द राय के लिए भाषा-ज्ञान का सुचारू
प्रबन्ध किया। एक ही समय उन्हें देवनागरी, गुरूमुखी तथा फारसी लिपियों का ज्ञान
करवाने के लिए विशेष अध्यापकों की नियुक्ति की गई। इनमें फारसी के लिए मुँशी मीर
मुहम्मद, सँस्कृत के लिए पण्डित कृपा राज जी (मटन निवासी) तथा गुरूमुखी अक्षर ज्ञान
के लिए गुरू घर के ग्रँथी मुँशी साहिब चन्द जी को चुना गया। गुरू जी के समक्ष विषम
परिस्थितियाँ थी। अतः उन्होंने अवकाश के समय गोबिन्द राय जी को खेल-खेल में युद्ध
विद्या में निपुण करने का निर्णय लिया। इसलिए उन्होंने बालक गोबिन्द को तैराकी,
घुड़सवारी, भाला चलाना, निशाना लगाना इत्यादि प्रत्येक प्रकार की शस्त्र विद्या
सिखाई। बालक गोबिन्द राय बहुत ही प्रतिभाशाली थे। इसलिए उनके अध्यापक उनकी प्रतिभा
से बहुत प्रभावित होते थे। इसलिए उन्हें विश्वास हो गया था कि गोबिन्द राय भविष्य
में उच्चकोटि के लेखक तथा शस्त्र विद्या में प्रवीण सेनानी बनेंगे। बाल्यवस्था का
कुछ भाग पटना साहिब बिहार में बिताने के कारण उनकी भाषा में बिहारी उच्चारण का
समावेश भी हो गया था।