7. पीर आरफदीन जी
एक दिन बालक गोबिन्द राय जी अपनी आयु के बच्चों के साथ खेल रहे थे कि तभी वहाँ से
एक पीर जी की सवारी निकली जिनका नाम आरफदीन था। उन्होंने गुजरते समय आपको पहचान लिया।
वह तुरन्त पालकी से नीचे उतरे। उनके साथ उनकी मुरीदों की भीड़ थी। पीर आरफदीन,
गोबिन्द राय जी के पास आये और चरण वन्दना करने लगे। गोबिन्द राय जी का मस्तिष्क
दिव्य ज्योति से सुशोभित हो रहा था। उसने स्तुति में वाह-वाह कहा और अपने आपको धन्य
मानने लगे। फिर हाथ जोड़कर आपको एक ओर ले जाकर कहा कि उस पर भी कृपा दृष्टि करें और
वचन लेकर विदा ली। जहां तक गोबिन्द राय दिखाई पड़ते रहे वहाँ तक वे पैदल गये और फिर
पालकी पर बैठकर अपनी राह चले गये। आश्रम के मुरीदों ने उनसे प्रश्न किया: वे गैर
मुस्लिम के आगे क्यों झुके ? कृप्या इस बात का रहस्य बताएँ ? जबकि वे स्वयँ खुदा
प्रसत शरह वाले महान पीर हैं ? इस पर पीर आरफदीन जी बोले: वे स्वाभाविक अदब में भर
गये थे। यह सच्ची बात है कि जो कुछ मैंने देखा है वही सुना रहा हूँ– कभी-कभी जब में
अर्न्तध्यान में होता हूं तो मुझे वही बालक नूरानी-जामा पहने हुए जगमगाता हुआ अनुभव
होता है, जिससे रूहानी नूर ही नूर फैलता चला जा रहा है और जिसका जलाल सहन नही हो पा
रहा हो। उनकी पहुँच अल्लाह की निकटता में है। मैंने उसे वहाँ देखा है और आज यहाँ
प्रत्यक्ष देखकर इमान लाया हूँ क्योंकि अल्लाह ने उसे स्वयँ भेजा है। यही कुफ-जुल्म
मिटायेगा इसलिए तुम सब अदब में आओ। लखनौर कस्बे में रहते हुए गुरू जी को लगभग दो
माह व्यतीत हो गये तब श्री गुरू तेग बहादर साहिब जी ने उनको नये नगर श्री आनंदपुर
साहिब में आने का सन्देश भेजा। इस अन्तराल में गुरू जी ने अपने परिवार तथा साहिबजादे
के आगमन के लिए स्वागत की तैयारियां सम्पूर्ण कर ली थी। अब गोबिन्द राय जी की आयु
लगभग 7 साल हो चुकी थी। परिवार लखनौर से चलकर राणों माजरा, कलौड़, रोपड़ आदि नगरों से
होता हुआ श्री कीरतपुर साहिब जी में पहुंचा। वहाँ पर श्री गुरू हरिगोबिंन्द साहिब
जी के साहिबजादे बाबा सूरजमल जी के यहाँ ठहरे। बाबा जी के परिवार ने आप जी के आगमन
पर बहुत प्रसन्नता प्रकट की। श्री आनंदपुर साहिब जी के कई मसँद और प्रमुख सिक्ख
अगवानी करने आए। श्री आनंदपुर साहिब जी पहुँचने पर संगत ने गुरू परिवार का भव्य
स्वागत किया और समस्त नगर में हर्ष और उल्लास छा गया। परिवार पटना साहिब जी से चलकर
सन 1673 मार्च को श्री आनंदपुर साहिब जी पहुँच गया।