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25. पीर बुद्धू शाह

श्री पाउँटा साहिब जी के पश्चिम की ओर लगभग 15 कोस की दूरी पर सढौरा नाम का एक कस्बा है। यह अम्बाला नगर से लगभग 15 कोस पूर्व में स्थित है। यहाँ के सूफी संत, पीर बुद्धू शाह जी की इस क्षेत्र में काफी मान्यता थी। उनका असली नाम शेख बदर-उद-दीन था। उदारवादी विचारों के होने के कारण जहाँ उनके हजारों मुसलमान मुरीद थे, वहीं उस क्षेत्र के हिन्दू भी उनका बहुत सम्मान करते थे। आध्यात्मिक दुनिया के यात्री होने के कारण वह श्री गुरू गोबिन्द सिंघ जी को जब मिले तो उन्हीं के होकर रह गये। आप जी प्रायः गुरू जी के दर्शनों को श्री पाउँटा साहिब जी आते रहते थे और अपनी आध्यात्मिक उलझनों का समाधान पाकर सन्तुष्टि प्राप्त करते। ये गोष्ठियाँ आपके जीवन में क्रान्ति लाती चली गईं। एक बार सढौरा में कुछ सैनिक आपसे मिलने आये और उन्होंने आपसे विनती की कि हमें औरँगजेब ने अपनी सेना से निष्कासित कर दिया है। अतः हम बेरोजगार हैं, हमें काम चाहिए। पीर बुद्ध शाह जी को उन पठानों की दयनीय दशा पर दया आ गई और उन्होंने उन सैनिकों को श्री गुरू गोबिन्द सिंघ जी के पास सिफारिश करते हुए भेजा कि इनको आप अपनी सेना में भर्ती कर लें। गुरू जी ने पीर जी का मान रखते हुए इन पाँच सौ सैनिकों को अपनी सेना में भर्ती कर लिया और अच्छे वेतनमान निश्चित कर दिये। वास्तव में औरँगजेब ने इन सैनिकों को हुक्म-अदूली की धारा पर दण्डित किया था। इन सैनिकों के सरदारों के नाम क्रमशः काले खान, भीखन खान, हयातखान, उमर खान और जवाहर खान थे। श्री पाउँटा साहिब जी नगर में ही 7 जनवरी 1687 को श्री गुरू गोबिन्द सिंघ जी के घर प्रथम सुपुत्र अजीत सिंघ जी ने जन्म लिया। इस शुभ अवसर पर श्री पाउँटा साहिब नगर में हर्षोल्लास छा गया और विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। गुरू जी को सभी लोगों ने बधाइयाँ दीं। इस पर गुरू जी ने सभी को उपहार दिये और मिठाइयाँ बाँटी।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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