10. राजा रामसिँह द्वारा घोड़े भेंट
राजा रामसिँह अभी आसाम में ही था कि श्री गुरू तेग बहादर साहिब जी की शहादत हो गई।
राजा रामसिँह जब दिल्ली पहुँचा तो उसे श्री गुरू तेग बहादर साहिब जी के बारे में
जानकारी प्राप्त हुई कि उनकी शहादत हो चुकी है, तो उसे औरँगजेब पर बहुत ग्लानि हुई।
वह गुरू जी के परोपकारों को भला कैसे भुला सकता था। औरँगजेब जब अजमेर की ओर
प्रार्थना करने चला गया तभी राजा मान सिंह श्री गुरू गोबिन्द राय जी के दर्शन करने
श्री आनन्दपुर साहिब जी में आया। उसने पाँच बढ़िया नस्ल के घोड़े भेंट किया और श्री
गुरू तेगबहादर साहिब जी को श्रद्धाँजली अर्पित करते हुए शोक व्यक्त किया। परन्तु
श्री गुरू गोबिन्द राय जी ने समस्त घटनाक्रम को परमात्मा का हुक्म कहकर सामान्य
स्थिति बनाये रखी।