SHARE  

 
jquery lightbox div contentby VisualLightBox.com v6.1
 
     
             
   

 

 

 

41. भाई मालो और भाई माँगा

श्री गुरू नानक देव जी के करतारपुर में निवास के समय उनके दरबार में दो अनन्य सेवक प्रतिदिन कथा कीर्तन श्रवण करने आते थे। वे स्वयँ भी कथा कीर्तन में भाग लेते थे और आध्यात्मवाद के पथिक होने के नाते अच्छा ज्ञान रखते थे। परन्तु एक दिन उन्होंने गुरुदेव के मुखारविन्द से श्रवण किया कि कीर्तन कथा हरियश इत्यादि करना सहज तपस्या है, जिसका महत्व हठ योग द्वारा किए गये तप से कहीं अधिक है। तो इनको शँका हुई। उन्होंने गुरुदेव से पूछा कि योगी और सँन्यासी लोग कहते हैं, जिस प्रकार का परीश्रम उसी प्रकार का फल, किन्तु आपने कहा है कि कथा कीर्तन सहज साधना है, जिसका फल हठ योग से कहीं महान है ? यह बात हमारी समझ मे नहीं आई। कृपया आप इसे विस्तार पूर्वक बताएँ। गुरुदेव ने उत्तर में कहा– सभी लोग धन अर्जित करने के लिए पुरुषार्थ करते हैं। कुछ लोग कड़ा परीश्रम नहीं करते परन्तु धन अधिक अर्जित कर लेते हैं जैसे स्वर्णकार, जौहरी, वस्त्र विक्रेता इत्यादि परन्तु इसके विपरीत श्रमिक लोग अधिक परीश्रम करते हैं, बदले में धन बहुत कम मिलता है। ठीक उसी प्रकार हठ साधना द्वारा शरीर को कष्ट अधिक उठाना होता है परन्तु ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती जिससे लक्ष्य चूक जाता है और साधना निष्फल चली जाती है। ठीक इसके विपरीत, कथा कीर्तन श्रवण करने से प्रथम ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है और बाद में उपासना दृढ़ होकर फलीभूत होती है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
            SHARE  
          
 
     
 

 

     

 

This Web Site Material Use Only Gurbaani Parchaar & Parsaar & This Web Site is Advertistment Free Web Site, So Please Don,t Contact me For Add.