38. गुरुदेव के माता-पिता का देहान्त
श्री गुरू नानक देव जी के माता पिता जी ने अपने जीवन के अन्तिम
दिनों में जब अपनी कल्पना के विपरीत अपने बेटे की आध्यात्मिक महापुरुष के रूप में
ख्याति देखी तो उनके मन को सन्तोष हुआ और उनको पूर्ण ज्ञान हो गया कि नानक जी उनके
वँश का गौरव हैं अतः उनका अन्तिम जीवन बहुत हर्ष-उल्लास में व्यतीत हो रहा था।
किन्तु वृद्धावस्था को प्राप्त हो जाने के कारण उनका स्वास्थ्य अब अनियामित रहता
था। वे भी सतसँग की महिमा से ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति कर चुके थे। अतः एक दिन
उन्होंने नानक जी से कहा: बेटा, अब हम अपने जर्जर शरीर का त्याग चाहते हैं क्योंकि
श्वासों की पूँजी भी लगभग समाप्त हो चुकी है। गुरुदेव ने उनको सहर्ष मातलोक से
प्रस्थान करने की सहमति दे दी। एक दिन प्रातःकाल पिता कालू जी शोच-स्नान करके समाधि
लीन हो गये, कुछ समय बाद सेवकों ने गुरुदेव को बताया कि पिता कालू जी देह त्याग गए
हैं। गुरुदेव ने समस्त संगत को साथ लिया और पिता जी का अन्तिम सँस्कार सम्पन्न कर
दिया। ठीक इस प्रकार ही कुछ दिन पश्चात् माता तृप्ता जी ने भी सहज ही समाधि लगाकर
देह त्याग दी और मात लोक से विदा ले ली।