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26. माता पिता से मिलन (तलवण्डी ग्राम, प0 पँजाब)

श्री गुरू नानक देव जी बाबर को एक अच्छा शासक होने की शिक्षा देकर स्वयँ भाई मरदाना जी के साथ अपने नगर तलवण्डी पहुँचे। आप की चौथी प्रचार यात्रा का यह अन्तिम चरण था। नगरवासियों ने आपका भव्य स्वागत किया। आपके माता-पिता अब वृद्ध हो चुके थे, आपने उनसे विनम्र आग्रह किया, मैं अब स्थाई जीवन व्यतीत करने के लिए जो नया नगर बसाने की योजना बना रहा हूँ, आप वहाँ पर मेरे और अपने पोतों के साथ रहें। जैसे कि आप जानते हैं वह स्थान रावी नदी के तट पर मेरे ससुर ने कृषि कार्यों के लिए कुछ वर्ष पूर्व खरीदा था। माता पिता ने स्नेहवश गुरुदेव से सहमति प्रकट कर दी। परन्तु कहा, बेटा पहले आप वहाँ ठीक से रहनसहन की व्यवस्था करो, तत्पश्चात् हमें भी यहाँ से ले जाना। गुरुदेव ने उनकी इच्छा अनुसार ही कार्यक्रम बनाया। भाई मरदाना जी भी कुछ दिन अपने परिवार के साथ रहे। अन्त में पक्खो के रँधवे जाते समय गुरुदेव ने भाई मरदाना को भी साथ लिया और उन्हें कहा कि आप भी अपने परिवार को तैयार रहने के लिए कहें। वहाँ पर ठीक प्रकार व्यवस्था होते ही हम सबको अपने पास बुला लेंगे। इस प्रकार गुरुदेव तलवण्डी से पक्खों के रँधवे ग्राम के लिए चल पड़े।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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