SHARE  

 
jquery lightbox div contentby VisualLightBox.com v6.1
 
     
             
   

 

 

 

2. पीर शेख अबदुल बुखारी मखदूम (उच्च नगर, प0 पँजाब)

श्री गुरू नानक देव जी मुल्ताननगर से प्रस्थान करके उच्च नगर में पहुँचे। उन दिनों वह नगर इस्लाम का गढ़ कहलाता था। वहाँ पर तेरहवीं शताब्दी में सूफी फ़कीर जलालुद्दीन बुखारी हुए हैं, उन दिनों उनकी गद्दी पर शेख हाजी अबदुल साहब बुखारी थे, जिन्हें मखदूम तखल्लुस से निवाजा गया था परन्तु समय के साथ-साथ लोग उनको प्यार से ‘उच्च के पीर’ कह कर सम्मान देते थे। गुरुदेव की भेंट ‘उच्च के पीर’ मखदूम शेख हाजी अबदुल साहब बुखारी से हुई। गुरुदेव के व्यक्तित्व से वह बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान के आदान प्रदान के लिए गुरुदेव से विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे, जिसका साराँश कुछ इस प्रकार है: उच्च का पीर: फ़कीरी का प्रारम्भ कहाँ से होता है तथा अन्त क्या है ? गुरुदेव जी: फ़कीरी का आरम्भ (प्रारम्भ) अपने अस्तित्व को मिटाने में है अर्थात सम्पूर्णता केवल इस ज्ञान को प्राप्त कर लेने में है कि उस अल्लाह के अतिरिक्त कुछ भी नहीं, अर्थात सब कुछ तूँ ही तूँ है। उच्च का पीर: इस प्रकार के "ब्रह्मज्ञान" की प्राप्ति का साधन क्या है ? अर्थात यह रुहानी खज़ाना कहाँ से प्राप्त हो सकता है ? गुरुदेव जी: इस खज़ाने का भण्डार सतसँगत में विद्यमान है। जो सतसँगत करेंगे उन को इस खज़ाने की चाबी, कुँजी प्राप्त हो जाएगी। उच्च का पीर: मन पर नियन्त्रण किस प्रकार किया जाए ? गुरुदेव जी: "प्रभु" चरणों में "प्रार्थना" करते रहना ही इसका यन्त्र है। तथा मृत्यु को सदैव याद रखना चाहिए। उच्च का पीर: मन, शान्तचित किस प्रकार हो सकता है ? गुरुदेव जी: मीठी बाणी तथा नम्रता धारण करने से एकाग्रता प्राप्त होती है। उच्च का पीर: दिव्य ज्योति का प्रकाश क्या है ? गुरुदेव जी: आत्मज्ञान का होना ही दिव्य ज्योति के दर्शन अथवा प्रकाश है। उच्च का पीर: हमें किस वस्तु की प्राप्ति के लिए सँघर्ष करना चाहिए ? गुरुदेव जी: बुद्धि विकास के लिए "प्रयत्नशील" रहना चाहिए। अर्थात ज्ञान कहीं से भी प्राप्त हो स्वीकार करना चाहिए। उच्च का पीर: मनुष्य को प्रसन्नता कब प्राप्त होती है ? गुरुदेव जी: जब दर्शनों की अभिलाषा सम्पूर्ण होती है अर्थात जब मानव अपने मुख्य लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है। उच्च का पीर: जीवन किस प्रकार व्यतीत करें ? गुरुदेव जी: 'धैर्य', 'सन्तोष', 'सबूरी' ही जीवन को लक्ष्य के निकट लाकर खड़ा कर देता है अर्थात निष्काम हो जाए। उच्च का पीर: लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मार्ग कौनसा धारण करें गुरुदेव जी: सच्चाई तथा परोपकार का मार्ग अपनाओ। उच्च का पीर: विश्राम किस प्रकार प्राप्त हो सकता है ? गुरुदेव जी: चिन्ताओं से मुक्ति पाना ही तो वास्तविक विश्राम है। यह केवल अपनी चतुराईयों का त्यागकर प्रभु की रज़ा, हुक्म में प्रसन्ता व्यक्त करने पर ही प्राप्त हो सकता है। उच्च का पीर: सँसार की यात्रा किस प्रकार सफल हो सकती है ? गुरुदेव जी: अवगुणों का त्याग करके "सदगुणों" को धारण करने पर यह यात्रा सफल हो जाती है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
            SHARE  
          
 
     
 

 

     

 

This Web Site Material Use Only Gurbaani Parchaar & Parsaar & This Web Site is Advertistment Free Web Site, So Please Don,t Contact me For Add.