40. चौधरी अजिता जी से परामर्श (पक्खो
के रँधवा ग्राम, पँजाब)
श्री गुरू नानक देव जी लगभग दो वर्ष के तीसरे प्रचार दौरे के
पश्चात् सन् 1517 ई0 में पसरूर नगर से अपने ससुराल पक्खो के रँधवे ग्राम में लौट आए।
यहीं पर आप जी ने अपना परिवार भी बसा रखा था। आपके बड़े बेटे श्रीचन्द जी ने आजीवन
जती रहने की प्रतिज्ञा की थी तथा छोटे लड़के लक्खमी दास का विवाह गुरुदेव ने अपनी
देख-रेख में करवा दिया था। उनकी एक सन्तान थी। गुरुदेव के लौटने का समाचार मिलते ही
चारों तरफ खुशी की लहर दौड़ गई। विशेषकर चौधरी अजीता रँधवा बहुत चाव से आपको मिलने
आया। और आगामी कार्यक्रम की रूपरेखा निश्चित करने के लिए आपसे विचारविमर्श होने लगा।
चौधरी अजीता ने परामर्श दिया कि वे उसी क्षेत्र में कोई स्थान चुन लें। और वहीं पर
अपना प्रचार केन्द्र स्थापित करें तथा नये नगर की आधारशिला रखें जो कि समय के
साथ-साथ विकास करता जाए। इस प्रकार केन्द्रीय स्थान होने से प्रचार में बहुत सहायता
मिलेगी। गुरुदेव ने कहा हमने पिछली बार रावी नदी के उस पार एक गाँव चुना था जो कि
करोड़ी शाह की सम्पति है। इस बार वहीं पर एक केन्द्रीय भवन की स्थापना के लिए प्रयास
करेंगे। अभी उनका, फिर पच्छिमी क्षेत्र में प्रचार दौरे पर जाने का विचार है। वहाँ
से लौटकर स्थायी रूप में आवास का कार्यक्रम बनायेंगे। यदि प्रभु ने चाहा तो नया नगर
भी बसेगा और गुरमति का प्रचार केन्द्र भी विकसित होगा।