46. आदिवासी कबीलों का उत्थान (सिँगापुर)
श्री गुरू नानक देव जी ने इन्डोनेशिया के जावा दीप की राजधनी
जकार्ता से भारतीय व्यापारियों को साथ लिया और सिँगापुर पहुँच गये। उन दिनों वहाँ
पर आदिवासी कबीलों की भरमार थी, किन्तु विकास का दौर प्रारम्भ हो चुका था। अधिकाँश
लोग अपनी परम्परा अनुसार रूढ़िवादी जीवन जी रहे थे। अतः गुरुदेव ने उनको मिलजुल कर
रहने की शिक्षा दी तथा कहा, आपको काल्पनिक देवता नहीं पूजने चाहिए। इसके विपरीत
सर्वशक्तिमान पारब्रह्म परमेश्वर की पूजा करो, जो कि निराकार और सर्वव्यापक है। इससे
सबमें एकता उत्पन्न होगी तथा सभी लोग एक शक्ति होकर उभरेंगे। इन बातों का वहाँ की
जनता पर गहरा प्रभाव पड़ा वे गुरुदेव की शिक्षा ग्रहण करने लगे। जिससे उन लोगों में
आपसी कलह की समस्याओं का समाधान हो गया।