11. गया जी का विकल्प स्थान (भीम
उडयार, गुजरात)
श्री गुरू नानक देव जी राजस्थान के आबू नगर से प्रस्थान करके
गुजरात के भीम उड़यार नगर में पहुँचे। यह स्थान गया जी के विकल्प के रूप में पूजनीय
माना जाता है। गुरुदेव ने वहाँ पर अपना डेरा नारायण सरोवर के किनारे डाल दिया तथा
तीर्थ यात्रियों, जो कि पित्तरों के लिए पिंडदान करके उनको पूजना चाहते थे को
वास्तविक पूजा, बताने का कार्यक्रम प्रारम्भ कर दिया। गुरुदेव ने भाई मरदाना को
कीर्तन आरम्भ करने के लिए कहा और स्वयँ शब्द उच्चारण करने लगे:
सुरती सुरति रलाईऐ एतु ।। तनु करि तुलहा लंघहि जेतु ।।
अंतरि भाहि तिसै तू रखु ।। अहिनिसि दीवा बलै ।।
ऐसा दीवा नीरि तराइ ।। जितु दीवै सभ सोझी पाइ ।। राग रामकली, अंग 878
अर्थ: पानी के ऊपर एक दीपक जला देने मात्र से क्या होगा ? जब तक
मानव हृदय में ज्ञान रूपी प्रकाश नहीं होता, जिसने कि उसे सभी प्रकार की सूझ प्रदान
की है। जब मनुष्य को यह ज्ञान हो जाए कि उसके कर्म ही प्रधान हैं, वही उनके साथ
जाऐंगे तथा उन्हीं के आधार पर निर्णय होगा तो वह कर्मकाण्डों में न पड़कर जीवन जीने
की विधि सीखने पर ध्यान केन्द्रित करेगा। अर्थात वह अपनी सुरति प्रभु चरणों में
एकाग्र करेगा जिससे तन भी पवित्र होकर स्वीकार हो जाता है। सभी गुरबाणी और उसके
अर्थ सुनकर बहुत प्रभावित हुए।