SHARE  

 
jquery lightbox div contentby VisualLightBox.com v6.1
 
     
             
   

 

 

 

25. ‘युवक पाली को आर्शीवाद’ (रास्ते में चैबासा, बिहार)

पटना नगर से प्रस्थान करके श्री गुरू नानक देव जी उड़ीसा प्राँत के एक नगर पुरी के लिए चल पड़े। आप जी ने एक रात हरे भरे खेतों में पड़ाव किया। आपने मरदाना जी को रबाब बजाने एवँ प्रभु स्तुति गायन करने को कहा, कीर्तन की मधुर ध्वनि सुनकर खेतों का रखवाला युवक, पाली आपके निकट आ बैठा तथा मन एकाग्र करके शब्द में सुरति जोड़कर वाणी श्रवण करता रहा। जब भाई मरदाना जी कुछ थकावट अनुभव करने लगे तो उस युवक ने अनुभव किया कि ये साधु भूखे हैं। अतः भोजन की व्यवस्था की जाए, वह खेतों में से चने के पोधें को उखाड़ कर भून लाया और गुरुदेव को अर्पित कर सेवन करने का आग्रह करने लगा। गुरुदेव उस की सहृदयता से बहुत प्रभावित हुए तथा उन्होंने उसे आर्शीर्वाद दिया। तुमने तो सुलतानो वाला विशाल हृदय पाया है। इसलिए तुम्हें सुलतान होना चाहिए। वह युवक समस्त रात्रि गुरुदेव के निकट बैठकर भजन बन्दगी करता रहा, किन्तु भोर होने से पूर्व गुरुदेव ने उसे कहा, बेटा तुम अब घर जाओ, विधाता तुम पर प्रसन्न होने वाला है। यह आज्ञा पाकर वह युवक अपने नगर को लौट चला। जब वह अपने स्वामी जागीरदार के यहाँ पहुँचा तो उसका देहान्त हो गया था। उस जागीरदार की कोई सन्तान तो थी नहीं, इस लिए उसने मुत्यु से पहले अपनी वसीयत लिखवाई कि उसकी सभी धन-सम्पति उसके सेवादार को दे दी जाए क्योंकि वह उसकी दृष्टि में स्वामी भक्त तथा हर दृष्टि से योग्य था। जब यह वसीयत पँचायत ने देखी तो उन्होंने युवक को तुरन्त जागीरदार का उतराधिकारी बना दिया। गुरुदेव का आशीर्वाद रँग लाया। बाद में यही युवक उन्नति करते-करते सुलतान बन गया।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
            SHARE  
          
 
     
 

 

     

 

This Web Site Material Use Only Gurbaani Parchaar & Parsaar & This Web Site is Advertistment Free Web Site, So Please Don,t Contact me For Add.