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24. भिक्षु देवगृह (बुद्ध गया, बिहार)

श्री गुरू नानक देव जी आगे बुद्ध गया पहुँचे जहाँ उन दिनों देवगृह नामक भिक्षु बुद्ध धर्म का मुख्य प्रचारक था। परन्तु सदियों से बौद्ध प्रभाव प्रायः वहाँ लुप्त हो चुका था और बदले में माध्वाचार्य सम्प्रदाय तथा वैष्णवों का बहुत प्रभाव बना हुआ था। भिक्षु देवगृह गुरुदेव की सतसंगत में उनके प्रवचन सुनने प्रतिदिन पहुँचता था अतः गुरुदेव से वह इतना प्रभावित हुआ कि गुरू जी का पक्का भक्त बन गया। गुरुदेव ने गया नगर में सतसंगत के लिए एक धर्मशाला की स्थापना करवाई जिसमें मुख्य प्रचारक देवगृह को ही नियुक्त किया, क्योंकि उस भक्त ने गुरू जी की आज्ञा अनुसार विवाह करवाकर गृहस्थ आश्रम धारण कर लिया था। वहाँ से गुरू नानक देव जी नालन्दा तथा राजगृह गए। यह स्थान गया नगर से थोड़ी दूरी पर हैं। वहाँ पर गर्म पानी के तीन स्त्रोत थे किन्तु ठंडे पानी का स्त्रोत कोई न था। यहाँ के लोगों की आवश्यकता को ध्यान में रखकर गुरुदेव ने शीतल जल के एक स्त्रोत के लिए सतसंगत द्वारा प्रभु चरणो में प्रार्थना की जिसकी सफलता पर नगर में शीतल जल उपलब्ध हो गया। रजाउली नगर जो कि वहाँ निकट ही है उसमें एक सूफी दरवेश काहलन शाह निवास करते थे। वह भी गुरुदेव की स्तुति सुनकर स्वयँ भेंट करने पहुँचे। विचार विनिमय के पश्चात् वह इतने अधिक प्रभावित हुए कि उन्होंने गुरुदेव को अपने स्थान, मकबरे पर आमन्त्रित किया तथा कई दिन तक सेवा की। गुरुदेव के प्रवचनों को जनसाधारण तक पहुँचाने के लिए वह बड़े-बड़े कार्यक्रर्मो का आयोजन करने लगे जिससे वहाँ पर बड़ी संगत नाम से एक संस्था का जन्म हुआ, इस सतसंग के स्थान को लोगों ने पीर नानक शाह की बड़ी सगंत कहना शुरू कर दिया। आज भी गुरुदेव के पदार्पण के स्थान पर सदैव धूनी जलती रखी जाती है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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