2. हाकिम जालिम खान सैदपुर, प0 पंजाब
श्री गुरू नानक देव जी मलिक भागो के यहाँ से विजयी होकर जब वापस लोटे, तो कुछ दिन
पश्चात् वहाँ के स्थानीय फ़ौजदार नवाब जालिम खान का लड़का बीमार हो गया। बहुत उपचार
करने पर भी वह ठीक नहीं हो पाया अतः हकीमों ने उसे जवाब दे दिया और कहा?अब दवा?दारू
के स्थान पर अल्लाह के कर्म पर सब कुछ निर्भर है आप इबादत करें। इस पर अहिलकार मलिक
भागो ने सुझाव दिया कि स्थानीय पीर फ़कीरों से अल्लाह की दरगाह से मंनत मनवाई जाए
क्योंकि फ़कीरों की ज़ुबान में बहुत तासीर होती हैं यह बात सुनते ही जालिम खान ने
हुक्म दिया कि सभी पीर, फ़कीर पकड़ कर लाए जाएँ। आदेश का तुरन्त पालन हुआ। नगर के सभी
पीर, फ़कीरों को पकड़ लिया गया। इन फ़कीरों में श्री गुरू नानक देव जी भी गिरफ्ऱतार
कर लिए गये। सभी फ़कीरों को सम्बोधित होकर जालिम खान ने कहाः आप लोग मेरे बेटे के
लिए खुदा से दुवा माँगें। यदि मेरा लड़का तन्दुरुस्त हो गया तो मैं आप लोगों को खुश
कर दूँगा, नहीं तो तुम सब पाखण्डी हो। यह सुनते ही गुरुदेव ने कहाः अल्लाह की दरगाह
में ज़ोरज़बर की दुआ कबूल नहीं होती। वहाँ तो प्रेम-भक्ति अथवा सच्चे दिल की पुकार ही
सुनी जाती है। इसलिए तुम्हारा बेटा ठीक नहीं हो सकता। फौजदार जालिम खान को गुरुदेव
की तर्क सँगत बात उचित लगी। उसने तुरन्त सब फ़कीरों को रिहा कर दिया।