9. सर्प की छाया
एक दिन नानक देव जी अपने मवेशियों के साथ चरागाह में घूम रहे थे कि अपने विश्राम के
लिए एक वृक्ष के नीचे चादर डाल कर सो गये। कुछ समय पश्चात् वृक्ष की छाया दूसरी तरफ
ढल गई तब नानक जी के ऊपर धूप आ गई थी। सँयोग वश स्थानीय प्रशासक राय बुलार भी वहां
से गुजर रहे थे। तभी उनकी दृष्टि सोये हुए नानक जी पर पड़ी। वह वहीं अचम्भित से खड़े
रह गये क्योंकि एक विशाल फन वाला साँप नानक जी के सिरहाने फन फैलाए मुख-मण्डल पर
छाया किये बैठा था ताकि गुरू नानक देव जी के चेहरा धूप से बचा रहे। तब राय जी ने एक
व्यक्ति को भेजा कि जाओ देखो कि यह बालक जीवित है या साँप ने इसे डस लिया है ?
व्यक्ति देखने पहुँचा तो साँप वहाँ से अपने बिल की ओर हो लिया। परन्तु नानक जी नींद
में सोऐ हुए थे। यह देख राय जी बहुत प्रसन्न हुए कि बालक ठीक है इससे उनके हृदय में
नानक जी के प्रति श्रद्धा भावना और भी बढ़ गई।