8. खेत हरा भरा हो गया
एक दिन नानक जी अपने मवेशियों को चरागाह मे छोड़कर अपने आप एकाँत स्थान में बैठे
समाधी में लीन हो गये। तभी उनके पशु चरते-चरते एक खेत में घुस गये तथा खेत को हानि
पहुँचायी। इससे खेत का स्वामी किसान झगड़ा करने लगा कि पटवारी के लड़के को मेरी क्षति
पूर्ति करनी चाहिये। यह झगड़ा बढ़ते-बढ़ते स्थानीय प्रशासक राय बुलार जी के पास पहुँचा।
राय जी ने अपना एक कर्मचारी क्षति ग्रस्त खेत में भेजा, जिससे यह अनुमान लगाया जा
सके कि हानि कितनी हुई है ? ताकि उतनी राशि उस किसान को दिलवाई जाए। परन्तु जब
कर्मचारी उस खेत में पहुँचा तो खेत मे नुकसान का कोई चिन्ह दिखाई नहीं दिया। अतः वह
लौट आया तथा कहने लगा– हे राय जी, वह खेत तो ज्यों का त्यों है। मुझे तो कहीं खेत
में मवेशियों द्वारा बरबादी के कोई चिन्ह दिखाई नहीं दिये। यह सुन राय जी कहने लगे
नानक भी अल्लाह का, खेत भी अल्लाह के तथा मवेशी भी अल्लाह के तब कैसी क्षति तथा कैसी
क्षति पूर्ति। यह सुनकर खेत का स्वामी लौट गया।