12. विवाह
अब नानक जी की आयु 18 वर्ष हो गई थी। अब पिता कालू जी ने देखा कि लड़का नानक कुछ काम
धाम में लग गया है तो उन्होंने मूलचन्द जी को सन्देश भेजकर विवाह की तिथि निश्चित
करवा दी और बारात बटाले नगर लेकर चले गये। बारात में सभी वर्ग के लोग सम्मलित हुए।
जब बारात बटाले नगर पहुँची तो वहाँ पर भव्य स्वागत हुआ। नानक जी कुछ क्षणों के
विश्राम के लिए मिट्टी की एक दीवार के पास बैठकर सुस्ताने लगे। कि एक वद्ध महिला ने
नानक जी से कहाः बेटा यह दीवार कच्ची है देखना कहीं गिर न जाए। तब नानक जी के मुख
से सहज भाव से शब्द निकलाः यह दीवार कभी भी नहीं गिरेगी। वह दीवार आज भी ज्यों की
त्यों है (यहाँ पर गुरद्वारा "श्री कँध साहिब जी" है। कंध यानि दीवार)। आपका विवाह
सन् 1487 में हुआ था।