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10. कृषक रूप

एक दिन नानक जी को पिता जी ने कहाः तुम अब मवेशियों को चरागाह में ले जाना छोड़कर अपने खेतों की स्वयँ देख-भाल करो। क्योंकि पट्टे पर तो आधा लाभ रह जाता है। अब मैं तुम्हारी शादी कर देना चाहता हूँ, अतः तुम्हें भी खेतों का काम हाथ में लेना होगा, जिससे तेरा उदास मन घर गृहस्थी से बहल जाएगा। तुझे बनों में भटकने की कोई आवश्यकता नहीं। अब नानक जी की आयु लगभग 15 वर्ष की हो चुकी थी। नानक जी अब अपने खेतों की देख-भाल करने लगे। प्रातःकाल ही उठते स्नान ध्यान करके खेतों में जाते। वहीं पर खेतीहर श्रमिकों से मिलकर खेतों में हल जोतते। खाद गोडाई आदि कार्यों में जुट जाते, जिससे इस बार फसल बहुत अच्छी हुई। जब मेहता कालू जी ने लहलहाती फसल देखी तो अति प्रसन्न हुए। हर्ष उल्लास में उन्होंने नानक जी को सीने से लगाकर बहुत प्यार किया। तथा कहाः मैं तेरी ऐसे ही निन्दा करता फिरता हूँ कि लड़का निकम्मा है। अरे ! तूने तो मेरी सारी शिकायतें दूर कर दीं। मैं अब तेरे विवाह की बात अपने एक मित्र की लड़की के साथ पक्की करता हूँ। अतः मेहता कल्याण चंद जी ने अपनी पत्नी त्रिपता जी से विचार-विमर्श किया कि हमारा लड़का पहले की तरह अब वैरागी नहीं रहा। वह तो अब खेती-बाड़ी में मन लगाने लगा है। अतः उसका मन रमा रहे इसलिए जल्दी उसके लिए घर ग्रहस्थी के बन्धन अच्छे रहेंगे। नहीं तो क्या मालूम फिर से वही पहले वाली हालत में न आ जाए। अतः कालू जी ने अपने बचपन के मित्र मूलचन्द को सन्देश भेजा जो कि बाल्यकाल में मेहता जी के सहपाठी रह चुके थे। अब वह बटाला ग्राम में पटवारी का कार्य भार सँभाले हुए थे। उनकी लड़की जिसका नाम सुलक्खणी था, वह हर दृष्टि से कुशल, निपुण और सुन्दर थी। दोनों परिवारों में समानता थी इसलिए मूलचन्द जी ने रिश्ता स्वीकार कर लिया। विवाह कुछ समय बाद में होना निश्चित हुआ। परन्तु नानक देव जी का मन तो मानव कल्याण की अभिलाषा लिए भविष्य के लिए कार्यक्रम बनाने में लगा रहता। अतः अब वह अपना अधिकाँश समय प्रभु चिंतन-मनन में लगाते, जिससे खेती-बाड़ी की दशा बिगड़ने लगी। यह सब देखकर मेहता कालू जी बहुत दुखी हुए। परन्तु शिकायत किसी से भी न करते। नानक जी तो काम धन्धें में रुचि ही नहीं ले रहे थे। बस अधिकाँश समय चिंतन व मनन में व एकान्त में रहते। अन्त में पिता जी ने निर्णय लिया कि खेती-बाड़ी की कठिन समस्याएँ नानक के बस की नहीं हैं। इसे तो किसी व्यापार में लगा दिया जाए तो ठीक रहेगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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